मजलिस में पढ़ने की दुआ
195. अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा बयान करते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम के लिए एक ही मज्लिस में उठने से पहले सौ बार यह दुआ शुमार की जाती थीः(ऐ मेरे रब! मुझे बख़्श दे और मेरी तौबा क़बूब फ़रमा, बेशक तू बहुत तौबा क़बूल करने वाला और बहुत ज़्यादा बख़्शने वाला है।) (1)
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(1) तिर्मिज़ी, हदीस संख्याः3434, इब्ने माजा, हदीस संख्याः3814, देखिएः सह़ीह़ तिर्मिज़ीः3/153, सह़ीह़ इब्ने माजाः1/321, शब्द तिर्मिज़ी के हैं।