तशह्हुद के बाद नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर दुरूद शरीफ ।
53. (ऐ अल्लाह! रह़मत नाज़िल कर मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर और मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की आल पर, जिस तरह़ तूने रह़मत नाज़िल की इब्राहीम औऱ इब्राहीम अलैहिस्-सलाम की औलाद पर। बेशक तू तारीफ़ वाला एवं बुज़ुर्गी वाला है। ऐ अल्लाह! बरकत नाज़िल कर मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर और मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम की आल पर, जिस तरह़ तूने बरकत नाज़िल की इब्राहीम अलैहिस्-सलाम और इब्राहीम अलैहिस्-सलाम की औलाद पर। बेशक तू तारीफ़ वाला एवं बुज़ुर्गी वाला है।) (1)
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(1) बुखारी फ़त्ह़ुल-बारी के साथः6/408, हदीस संख्याः3370, मुस्लिमःहदीस संख्याः406
54. (ऐ अल्लाह! रह़मत नाज़िल कर मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर और आप की बीवियों तथा औलाद पर, जिस तरह़ तूने रह़मत नाज़िल की इब्राहीम अलैहिस्-सलाम की औलाद पर।और बरकत नाज़िल कर मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर और आप की बीवियों तथा औलाद पर, जिस तरह़ तूने बरकत नाज़िल की इब्राहीम अलैहिस्-सलाम की औलाद पर। बेशक तू तारीफ़ वाला एवं बुज़ुर्गी वाला है।) (1)
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(1) बुखारी फ़त्ह़ुल-बारी के साथः6/407, हदीस संख्याः3369, मुस्लिमः1/306,हदीस संख्याः407, शब्द मुस्लिम के हैं।