मस्जिद में दाखिल होने की दुआ ।

20. (पहले अपना दायां पांव दाखिल करे) (1), और कहेः (मैं महान अल्लाह की, उसके कृपालु चेहरे की और हमेशा से रहने वाले राज्य की पनाह चाहता हूं बहिष्कृत शैतान से।) (2), [अल्लाह के नाम से और दरूद] (3) [और सलाम हो रसूलुल्लाह पर] (4) (ऐ अल्लाह! मेरे लिए अपनी रह़मत के दरवाजे खोल दे) (5) ........................ (1) अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अन्हु के इस कथन के कारणः (सुन्नत ये है कि मस्जिद में दाखिल होते समय पहले दायां पांव अंदर किया जाए और निकलते समय पहले बायां पांव निकाला जाए) इसे ह़ाकिम ने रिवायत करते हुए सह़ीह़ मुस्लिम की शर्त पर सह़ीह़ कहा है और ज़हबी ने उनका समर्थन किया है। इसे बैहक़ी(2/442) ने भी रिवायत किया है और ‏शैख़ अल्बानी ने सिल्सिला सह़ीह़ा (5/624, हदीस संख्याः2478) में ह़सन कहा है। (2) अबू दाऊद ह़दीस संख्याः466, और देखिएः सह़ीह़ुल-जामे ह़दीस संख्याः4591 (3) इसे इब्नुस्-सुन्नी (ह़दीस संख्याः88) ने रिवायत किया है और शैख़ अल्बानी ने अस्-समरुल्-मुस्तताब पृष्ठ 607 में ह़सन कहा है। (4) अबू दाऊद ह़दीसः1/26, ह़दीस संख्याः465 और देखिएः सह़ीह़ुल-जामेः1/528 (5) मुस्लिमः1/494, ह़दीस संख्याः713 और इब्ने माजा में फातिमा की रिवायत में हैः( ऐ अल्लाह! मेरे गुनाह माफ़ कर दे और मेरे लिए अपनी रह़मत के दरवाज़े खोल दे) इसे शैख़ अल्बानी ने श्वाहिद के आधार पर सह़ीह़ कहा है। देखिएः सह़ीह़ इब्ने माजाः1/128-129

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