सफर से वापसी की दुआ
217. (रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम हर ऊंची जगह पर तीन बार अल्लाहु अकबर कहते, फिर ये दुआ पढ़तेः अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं। वह अकेला है। उसका कोई शरीक नहीं। बादशाही उसी की है। उसी के लिए सब तारीफ़ है और वह हर चीज़ पर क़ादिर है। हम वापस लौटने वाले, तौबा करने वाले, इबादत करने वाले और अपने रब की प्रशंसा करने वाले हैं। अल्लाह ने अपना वादा सच कर दिखाया, अपने बन्दे की मदद की और अकेले सारे लशकरों को पराजित कर दिया।) (1)
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(1) रसूलुल्लाह जब किसी जंग या ह़ज से वापस होते तो ये दुआ पढ़ते। बुख़ारीः7/163, हदीस संख्याः 1797, मुस्लिमः2/980,हदीस संख्याः1344