वित्र का सलाम फेरने के बाद की दुआ ।

119. (पाक है बहुत पाकीज़गी वाला बादशाह।) तीन बार पढ़े। तीसरी बुलन्द आवाज़ से पढ़े, आवाज़ लम्बी करे और उसके साथ ये भी पढ़ेः(फ़रिश्तों और रूह़ (जिब्रील) का रब।)) (1) .......................... (1) नसाईः3/244, ह़दीस संख्याः1734, दारक़ुतनीः2/31,ह़दीस संख्याः2, आदि, दोनों कोष्ठों के बीच के शब्द दारक़ुतनी के हैं। इसकी सनद सह़ीह़ है। देखिएःज़ादुल-मआद, शोऐब अरनाऊत और अब्दुल क़ादिर की तह़क़ी़क़ के साथः1/337

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