नमाज़ शुरू करने की दुआएँ ।
27. (ऐ अल्लाह! मेरे और मेरे गुनाहों के बीच मश्रिक़ और मग़्रिब जितनी दूरी कर दे। ऐ अल्लाह! मुझे मेरे गुनाहों से इस तरह़ पाक-साफ़ कर दे, जिस तरह़ सफ़ेद कपड़ा मैल-कुचैल से साफ़ किया जाता है। ऐ अल्लाह! मुझे मेरे गुनाहों से बर्फ़, पानी और ओलों के साथ धो दे।) (1)
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(1) बुखारीः1/181, हदीस संख्याः744, मुस्लिमः1/419, हदीस संख्याः598
28. (ऐ अल्लाह! तू पाक है और हर क़िस्म की तारीफ़ केवल तेरे ही लिए है। बाबरकत है तेरा नाम, बुलंद है तेरी शान और तेरे सिवा कोई सच्चा माबूद नहीं।) (1)
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(1) मुस्लिम, हदीस संख्याः399, अबू-दाऊद हदीस संख्याः775, तिर्मिज़ी हदीस संख्याः243, इब्ने माजा हदीस संख्याः806, नसाई, हदीस संख्याः899, देखिएः सह़ीह़ तिर्मिज़ीः1/77, सह़ीह इब्ने माजाः1/135
29. (मैंने अपना चेहरा उस ज़ात की तरफ़ फेर लिया, जिसने यकसू (एकाग्रचित) होकर आस्मानों और ज़मीन को बनाया और मैं मुश्रिकों में से नहीं हूं। मेरी नमाज़, मेरी क़ुर्बानी, मेरी ज़िन्दगी और मेरी, मौत सारे जहान वालों के रब अल्लाह के लिए है। उसका कोई शरीक नहीं। मुझे इसी अक़ीदे पर ईमान रखने का ह़ुक्म दिया गया है औऱ मैं मुसलमानों में से हूं। ऐ अल्लाह! तू ही बादशाह है, तेरे सिवा कोई सच्चा माबूद नहीं, तू ही मेरा रब है और मैं तैरा बंदा हूं। मैंने अपने आप पर ज़ुल्म किया है। अपने गुनाहों का इक़्रार करता हूं। अतः मेरे सारे गुनाहों को बख़्श दे, क्योंकि तेरे सिवा कोई और गुनाहों को बख़्श नहीं सकता। और मुझे सबसे अच्छे अख़्लाक़ (स्वभाव) की ओर हिदायत दे। सबसे अच्छे अख़्लाक़ (स्वभाव) की ओर हिदायत तेरे सिवा कोई नहीं दे सकता। ऐ अल्लाह! मैं इबादत के लिए हीज़िर हूं, तेरी तारीफ़ के लिए हीज़िर हूं। हर प्रकार की भलाई तेरे हाथों में है और बुराई की निस्बत तेरी तरफ नहीं की जा सकती। मैं तेरी तौफ़ीक़ से हूं और तेरी ओर मुतवज्जेह हूं। तू बरकत वाला और बुलंद है। मैं तुझसे माफी मांगता हूं और तौबा करता हूं।) (1)
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(1) मुस्लिमः1/534, हदीस संख्याः771
30. (ऐ अल्लाह! ऐ जिब्राईल, मीकाईल और इस्राफ़ील के रब! आस्मानों और ज़मीन के पैदा करने वाले! ग़ायब और ह़ाज़िर को जानने वाले! अपने बंदों के बीच तू ही उस चीज़ के बारे में फ़ैस्ला करेगा, जिसमें वे इख़्तिलाफ़ करते थे। ह़क़ की जिन बातों में इख़्तिलाफ़ हो गया है, तू अपनी इजाज़त से मुझे उनके सम्बंध में च्चाई की ओर हिदायत दे दे। बेशक तू जिसे चाहता है, सीधी राह की तरफ हिदायत देता है।) (1)
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(1) मुस्लिमः1/534, हदीस संख्याः770
31. (अल्लाह सबसे बड़ा है, बहुत बड़ा है। अल्लाह सबसे बड़ा है, बहुत बड़ा है। अल्लाह सबसे बड़ा है, बहुत बड़ा है। हर प्रकार की अत्यधिक प्रशंसा केवल अल्लाह के लिए है। हर प्रकार की अत्यधिक प्रशंसा केवल अल्लाह के लिए है। हर प्रकार की अत्यधिक प्रशंसा केवल अल्लाह के लिए है। मैं सुबह़-शाम अल्लाह की पाकी बयान करता हूं।) तीन बार (मैं अल्लाह की पनाह पकड़ता हूं शैतान से, उसकी फूंक से, उसके थुकथुकाने से औऱ उसके चोके से।) (1)
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(1) अबू-दाऊदः1/203, हदीस संख्याः764, इब्ने माजाः1/265, हदीस संख्याः807, अह़मदः4/85, हदीस संख्याः16739, शैख़ शोऐब अरनाऊत अपनी मुस्नद की तह़क़ीक़ में कहते हैंः((ये ह़दीस ह़सन लेग़ैरेही है।)) और इब्ने तैमिया की किताब अल-कलिमुत्-तैयिब की तख़रीज, हदीस संख्याः62, में शैख़ अब्दुल क़ादिर अरनाऊत कहते हैंः((ये ह़दीस श्वाहिद के आधार पर सह़ीह़ है।)) इसे मुस्लिम ने इब्ने उमर रज़ियल्लाहु अन्हुमा से इससे मिलते-जुलते शब्दों में रिवायत किया है। इसमें एक क़िस्सा भी है। 1/420, हदीस संख्याः601
32. (ऐ अल्लाह! तेरे लिए ही तारीफ़ है (1)। तू ही आस्मानों और ज़मीन और उनकी सारी चीज़ों का नूर है। तेरे ही लिए सब तारीफ़ है। तू ही आस्मानों और ज़मीन और उनकी सारी चीज़ों को क़ायम रखने वाला है। [और तेरे ही लिए हर प्रकार की तीरीफ़ है, तू ही आस्मानों और ज़मीन और उनकी सारी चीज़ों का रब है।] [और तेरे लिए ही तारीफ़ है। तेरे ही लिए आस्मानों तथा ज़मीन और उनकी सारी चीज़ों की बादशाही है।] [और तेरे ही लिए हर प्रकार की तीरीफ़ है। तू ही आस्मानों और ज़मीन का बादशाह है।] [और तेरे ही लिए हर प्रकार की तीरीफ़ है।] [तू ह़क़ है, तेरा वादा ह़क़ है, तेरी बात ह़क़ है, तुझसे मुलाक़ात ह़क़ है, जन्नत ह़क़ है औऱ जहन्नम ह़क़ है, सारे पैग़म्बर ह़क़ हैं, मुह़म्मद ह़क़ है और क़यामत ह़क़ है।] [ऐ अल्लाह! मैं तेरे लिए मुसलमान हुआ, तुझ पर मैंने भरोसा किया, तुझी पर मैं ईमान लाया, तेरी ही तरफ पलटा, तेरी मदद तथा तेरे भरोसे पर मैंने दुश्मन से झगड़ा किया और तुझको अपना ह़ाकिम माना। इस लिए मेरे वह गुनाह बख़्श दे , जो मैंने पहले किए और जो बाद में किए, जो छिपा कर किए और जो सबके सामने किए],[ और जिसे तू मुझसे अधिक जानता है।] [तू ही सबसे पहले था और तू ही बाद में भी रहेगा। तेरे सिवा कोई सच्चा माबूद नहीं।] [तू ही मेरा सच्चा माबूद है। तेरे सिवा कोई सच्चा माबूद नहीं।] [अल्लाह के बिना न नेकी की शक्ति है, न गुनाह से बचने की ताक़त।]) (1)
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(1) रसूलुल्लाह सल्ललाहु अलैहि व सल्लम जब रात को तहज्जुद के लिए उठते तो ये दुआ पढ़ते।
(2) बुखारी फ़तह़ुल-बारी के साथः3/3,11/116,13/371,423,465, ह़दीस संख्याः1120,6317,7385,7442,7499, और मुस्लिम ने संक्षिप्त में इन्ही जैसे शब्दों में रिवायत किया है। 1/532, ह़दीस संख्याः769