नमाज़ से सलाम फेरने के बाद की दुआएँ ।

66. (मैं अल्लाह से बख़्शिश मांगता हूं। (तीन बार) ऐ अल्लाह! तू ही सलामती वाला है और तुझी से सलामती है। ऐ बुज़ुर्गी और इज़्ज़त वाले! तू बड़ी बरकत वाला है।) (1) ......................... (1) मुस्लिमः1/414,हदीस संख्याः591

67. (अल्लाह के सिवा कोई माबूद नहीं, वह अकेला है, उसका कोई शरीक नहीं, उसी के लिए बादशाहत है, उसी के लिए सब तारीफ़ है औऱ वह हर चीज़ पर क़ादिर है। ऐ अल्लाह! जो कुछ तू दे, उसे कोई रोकने वाला नहीं औऱ जिसे तू रोक ले, उसे कोई देने वाला नहीं, और किसी दौलतमन्द को उसकी दौलत तेरे यहां कुछ फायदा नहीं दे सकती।) (1) .......................... (1) बुखारीः1/255, हदीस संख्याः844, मुस्लिमः1/414,हदीस संख्याः593, दोनों कोष्ठों के बीच का भाग बुखारी (हदीस संख्याः6473) का है।

68. (अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं। वह अकेला है, उसका कोई शरीक नहीं। बादशाही उसी की है, उसी के लिए सब तारीफ़ है और वह हर चाज़ पर क़ुदरत रखने वाला है। अल्लाह की मदद के बिना न गुनाह से बचने की शक्ति है, न नेकी करने की ताक़त। अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं और उसके सिवा हम किसी की इबादत नहीं करते। उसी के लिए नेमत है, उसी के लिए फ़ज़्ल और उसी के लिए अच्छी तारीफ़ है। अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं। हम अपनी इबादत उसी के लिए विशुद्ध करते हैं, चाहे काफिरों को बुरा ही लगे। (1) .......................... (1) मुस्लिमः1/415, हदीस संख्याः594

69. (अल्लाह पाक है, हर प्रकार की तारीफ़ अल्लाह के लिए है और अल्लाह सबसे बड़ा है (तेंतीस बार)। अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं। वह अकेला है। उसका कोई शरीक नहीं। बादशाही उसी की है। उसी के लिए सब तारीफ़ है और वह हर चाज़ पर क़ुदरत रखने वाला है। (1) .......................... (1) मुस्लिमः1/418, हदीस संख्याः597, और उसमें हैः(जो आदमी हर नमाज़ के बाद ये दुआ पढ़े, उसके गुनाह माफ़ कर दिए जाते हैं, चाहे वो समुद्र के झाग के बराबर क्यों न हों।)

70. (अल्लाह के नाम से शुरू करता हूं, जो बड़ा दयालू एवं बहुत रह़म करने वाला है। (आप कह दीजिए वो अल्लाह एक है। अल्लाह तआला बेनियाज़ है। न उसकी कोई औलाद है और न वह किसी की औलीद है और न उसका कोई समकक्ष (हमसर) है।) अल्लाह के नाम से शुरू करता हूं, जो बड़ा दयालू एवं बहुत रह़म करने वाला है। (आप कह दीजिए कि मैं सुबह़ के रब की पनाह में आता हूं हर उस चीज़ की बुराई से जो उसने पैदा की है, और अंधेरे रात की बुराई से जब उसका अंधकार फैल जाए और गांठ लगाकर उनमें फूंकने वालिय़ों की बुराई से और ह़सद करने वाले की बुराई से जब वो ह़सद करे।) अल्लाह के नाम से शुरू करता हूं, जो बड़ा दयालू एवं बहुत रह़म करने वाला है। (आप कह दीजिए कि मैं लोगों के रब, लोगों के मालिक और लोगों के माबूद की पनाह में आता हूं, वस्वसा डालने वाले और पीछे हट जाने वाले की बुराई से, जो लोगों के सीनों में वस्वसा डालता है (चाहे) वह जिन्न में से हो या मानव में से।) हर नमाज़ के बाद। (1) ........................... (1) अबू दाऊदः2/86, हदीस संख्याः1523, तिर्मिज़ी ,हदीस संख्याः2903, नसाईः3/68, हदीस संख्याः1335, देखिएः सह़ीह़ तिर्मिजीः9/62, इन तीनों सूरतों को मुऔविज़ात कहा जाता है। देखिएः फ़त्ह़ुल-बारीः9/62

71. (अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं, वह हमेशा ज़िन्दा रहने वाला है, सबको क़ायम रखने वाला है। उसको न ऊंघ आती है, न नींद। आस्मान और ज़मीन की सब चीजें उसी की हैं। कौन है जो उसकी इजाज़त के बग़ैर उसके पास किसी की सिफ़ारिश करे? वह उन चीज़ों को जानता है जो लोगों के सामने हैं और जो उनके पीछे हैं। और लोग उसके इल्म में से किसी चीज़ पर पहुंच नहीं रखते, मगर जितना वो खुद चाहे। उसकी कुर्सी ने आस्मानों और ज़मीन को अपने घेरे में ले रखा है। और उन दोनों की हिफ़ाज़त उसको थका नहीं सकती और वह बुलन्द एवं अज़मत वाला है।) हर नमाज़ के बाद। (1) ............................ (1) जो आदमी हर नमाज़ के बाद इसे पढ़े, उसे जन्नत में जाने से मौत के सिवा कोई चीज़ नहीं रोकेगी। नसाई की अमलुल-यौमे वल-लैला हदीस संख्याः100, इब्नुस-सुन्नी, हदीस संख्याः121, शैख़ अल्बानी ने इसे सह़ीह़ुल-जामेः 5/339 और सिल्सिला सह़ीह़ाः2/697, हदीस संख्याः972 में सह़ीह़ कहा है। आयत सूरा बक़रा (आयत संख्याः255) की है।

72. (अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं। वह अकेला है, उसका कोई शरीक नहीं। बादशाही उसी की है और उसी के लिए सब तारीफ़ है। वह मारता और जिलाता है और वह हर चाज़ पर क़ुदरत रखने वाला है।) दस बार मग़्रिब और फ़ज्र की नमाज़ के बाद।(1) .......................... (1)तिर्मिज़ीः5/515, हदीस संख्याः3474, अह़मदः4/227,हदीस संख्याः17990, तख़रीज के लिए देखिएः ज़ादुल-मआदः1/300

73. (ऐ अल्लाह! मैं तुझसे लाभ देने वाला इल्म, पाकीज़ा रोज़ी और क़बूल होने वाले अमल का सवाल करता हूं।) फज्र की नमाज़ से सलाम फेरने के बाद पढ़े। (1) ....................... (1) इब्ने माजाः925, नसाई की अमलुल-यौमे वल-लैला हदीस संख्याः102, देखिएः सह़ीह़ इब्ने माजाः1/152 और मजमउज़-ज़्वाइदः10/111, ये रिवायत आगे दुआ संख्याः95 में आ रही है।

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