सफा और मरवा पर ठहरने की दुआ
236. (जब नबी सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम सफ़ा के क़रीब पहुंचे तो फ़रमायाः (सफा और मरवा (यह दोनों पहाड़ियां) अल्लाह की निशानियों में से हैं।) मैं वहीं से शुरू कर रहा हूं जहां से अल्लाह ने शुरू किया है। फिर आप ने सफ़ा से सई शुरू की, उस पर चढ़ते गए, यहां तक कि बैतुल्लाह नज़र आने लगा, फिर आपने क़िबले की तरफ़ मुंह किया और अल्लाह की तौह़ीद और बड़ाई बयान करते हुए ये दुआ पढ़ीः (अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं। वह अकेला है। उसका कोई शरीक नहीं। बादशाही उसी की है। उसी के लिए सब तारीफ़ है और वह हर चीज़ पर क़ादिर है। अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं। वह अकेला है। अल्लाह ने अपना वादा सच कर दिखाया, अपने बन्दे की मदद की और अकेले सारे लशकरों को पराजित कर दिया। फिर इसके बीच आपने दुआ फ़रमाई। इस तरह़ आपने तीन बार कहा।) ह़दीस लम्बी है और उसमें यह भी हैः (नबी ने मरवा पर भी वैसे ही किया जैसे सफ़ा पर किया था।) (1)
.............................
(1) मुस्लिम ह़दीस संख्याः1218, आयत सूूरा बक़रा की है, आयत संख्याः158