कब्रों की ज़ियारत की दुआ ।

165. (ऐ इस घर वाले (क़ब्र तथा बर्ज़ख़ी घर वाले) मोमिनो और मुसलमानो! तुम पर सलाम हो और हम भी अगर अल्लाह ने चाहा तो तुमसे मिलने वाले हैं। [हम में से पहले जाने वालों पर और बाद में जाने वालों पर अल्लाह रह़म फ़रमाए।] मैं अपने लिए और तुम्हारे लिए अल्लाह से आफ़ियत का सवाल करता हूं।) (1) ................................... (1) मुस्लिमः2/671, हदीस संख्याः975, इब्ने माजाः1/494, हदीस संख्याः1547, शब्द उन्हीं के हैं और बुरैदा रज़ियल्लाहु अन्हु रावी हैं। दोनों कोष्ठों के बीच के शब्द सह़ीह़ मुस्लिम में आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा की ह़दीस से हैं। 2/671, हदीस संख्याः975

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