मुक़ीम की दुआ मुसाफिर के लिए

212. (मैं तेरे दीन, तेरी अमानत औऱ तेरे अन्तिम कर्म को अल्लाह के ह़वाले करता हूं।) (1) ............................. (1) अह़मदः2/7 ह़दीस संख्याः4524, तिर्मज़ीः5/499 ह़दीस संख़्याः3443, और शैख़ अल्बानी ने इसे सह़ीह़ तिर्मज़ीः3/419 में सह़ीह़ कहा है।

213. (अल्लाह तआला तुझे तक़वा प्रदान करे, तेरे गुनाह माफ कर दे और तू जहां कहीं भी रहे तेरे लिए भलाई आसान कर दे।) (1) ........................ (1) तिर्मज़ी, ह़दीस संख़्याः3444, देखिए- सह़ीह़ तिर्मज़ीः3/155

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