अरफा (९जुल्हिज्जा) के दिन की दुआ
237. रसूल सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः (सबसे बेहतर दुआ अ़रफा के दिन की दुआ है। उस दिन जो कुछ मैंने और मुझ से पहले नबियों ने कहा, उसमें सबसे अफ़ज़ल ये हैः अल्लाह के सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं। वह अकेला है। उसका कोई शरीक नहीं। बादशाही उसी की है। उसी के लिए सब तारीफ़ है और वह हर चीज़ पर क़ादिर है।) (1)
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(1) तिर्मज़ी ह़दीस संख़्याः3585, और शैख़ अल्बानी ने इसे सह़ीह़ तिर्मज़ीः3/184 और सिल्सिला सह़ीह़ाः4/6 में ह़सन कहा है।