मजलिस के गुनाह दूर करने की दुआ ।
196. (ऐ अल्लाह! तू पाक है और तेरे लिए हर प्रकार की तारीफ़ है। मैं गवाही देता हूं कि तेेरे सिवा कोई इबादत के लायक़ नहीं। मैं तुझसे माफ़ी चाहता हूं और तुझसे तौबा करता हूं।) (1)
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(1) अबू दाऊद, हदीस संख्याः4858, तिर्मिज़ी ,हदीस संख्याः3433, नसाइः हदीस संख्याः1344, देखिए सह़ीह़ तिर्मिज़ीः3/153, आइशा रज़ियल्लाहु अन्हा बयान करती हैंः( रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम किसी मज्लिस में बैठते, कुरआन पढ़ते या नमाज़ पढ़ते तो उसका समापन इस दुआ पर करते थे।) नसाइ की अ़मलुल्-यौमे वल-लैलाःहदीस संख्याः308, अह़मदः6/77, हदीस संख्याः24486, डा. फ़ारूक़ ह़मादा ने इसे नसाइ की अ़मलुल्-यौमे वल-लैला की तह़क़ीक़ पृष्ठः273 में सह़ीह़ कहा है।