सफर की दुआ
107. (अल्लाह सबसे बड़ा है। अल्लाह सबसे बड़ा है। अल्लाह सबसे बड़ा है। (पाक है वह ज़ात जिसने इस सवारी को हमारे क़ाबू में कर दिया है, ह़ालांकि हम इसे अपने क़ाबू में नहीं कर सकते थे। हम अपने रब की ओर लौट कर जाने वाले हैं।) (ऐ अल्लाह! हम अपने इस सफ़र (यात्रा) में तुझसे नेकी और तक़वा और ऐसे अमल का सवाल करते हैं जिसे तू पसन्द करे। ऐ हमारी ये यात्रा हमारे लिए आसान कर दे और इसकी दूरी को हमारे लिए समेट दे। ऐ अल्लाह! तू ही यात्रा में (हमारा) साथी औऱ घर वालों में जा-नशीन है। ऐ अल्लाह! में तुझसे यात्रा की पीड़ा, उसके कष्टदायक दृश्य और माल तथा परिजनों में बुरे परिवर्तन से तेरी पनाह चाहता हूं।) और जब यात्रा से घर की ओर वापस लौटे तो ऊपर की दुआ पढ़े और उसके साथ ये दुआ भा पढ़ेः (हम वापस लौटने वाले, तौबा करने वाले, इबादत करने वाले और अपने रब की प्रशंसा करने वाले हैं।) (1)
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(1) मुस्लिमः2/978, हदीस संख्याः1342