नमाज़े जनाज़ा की दुआ
156. (ऐ अल्लाह! इसे बख़्श दे, इस पर रह़म फ़रमा, इसे आफ़ियत दे, इसे माफ़ कर दे, इसकी अच्छी मेहमान नवाज़ी कर, इसकी क़ब्र को फैला दे, इसके गुनाह को पानी, बर्फ और ओले से धो दे और इसे गुनाहों से इस तरह साफ़ कर दे जैसे तूने सफ़ेद कपड़े को मैल से साफ़ कर दिया है। इसे बदले में इसके घर से अच्छा घर दे, इसके घर वालों से अच्छे घर वाले दे और इसके जोड़े से अच्छा जोड़ा दे। इसे जन्नत में दाख़िल फ़रमा और इसे क़ब्र और [जहन्नम के अज़ाब] से बचा।) (1)
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(1) मुस्लिमः2/663, हदीस संख्याः963
157۔ (ऐ अल्लाह! हमारे ज़िन्दों औऱ मुर्दों, हमारे ह़ाज़िर और ग़ायब, हमारे छोटों और बड़ों और हमारे मर्दों और औरतों को बख़्श दे। ऐ अल्लाह! हम में से जिसे तू ज़िन्दा रख उसे इस्लाम पर ज़िन्दा रख और हम में से जिसे तू मौत दे उसे ईमान पर मौत दे। ऐ अल्लाह! इसके बदले (अज्र) से हमें मह़रूम न रख और इसके बाद हम को गुमराह न कर।) (1)
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(1) अबू दाऊद, हदीस संख्याः3201, तिर्मिज़ी ,हदीस संख्याः1024, नसाई, हदीस संख्याः1985, इब्ने माजाः1/480, हदीस संख्याः1498, अह़मदः2/368,हदीस संख्याः8809 देखिएः सह़ीह़ इब्ने माजाः1/251
158. (ऐ अल्लाह! अमुक का पुत्र अमुक तेरे ज़िम्मे और तेरी पनाह में है। अतः तू इसे क़ब्र की आज़माइश और जहन्नम के अज़ाब से बचा। तू वफ़ा औऱ ह़क़ वाला है। अतः इसे बख़्श दे और इस पर रह़म कर। बेशक तू ही बख़्ने वाला तथा बहुुत ज़्यादा मेहरबान है।) (1)
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(1) इब्ने माजा, हदीस संख्याः1499, देखिएः सह़ीह़ इब्ने माजाः1/251, तथा अबू दाऊदः3/211, हदीस संख्याः3202
159. (ऐ अल्लाह! यह तेरा बन्दा एवं तेरी बंदी का बेटा, तेरी रह़मत का मुह़ताज हो गया है और तू इसे अज़ाब देने से बेनियाज़ है। अगर यह नेकी करने वाला था तो इसकी नेकियों में इज़ाफ़ा कर औऱ अगर बुराई करने वाला था तो इसे क्षमा कर।) (1)
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(1) ह़ाकिम ने इसे रिवायत करके सह़ीह़ कहा है और ज़ह्बी ने भी इस पर सहमति व्यक्त की है। 1/359, और देखिए शैख़ अल्बानी की किताब अह़कामुल-जनाइज़ पृष्ठः125