रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम पर दरूद की फज़ीलत

219. रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः (जो आदमी मुझ पर एक बार दरूद भेजेगा, अल्लाह तआला उस पर दस रह़मतें नाज़िल फ़रमायेगा।) (1) .............................. (1) मुस्लिमः1/288, ह़दीस संख्याः384

220. रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः (मेरी क़ब्र को मेलागाह न बनाओ और मुझ पर दरूद भेजो। तुम जहां भी हो तुम्हारा दरूद मुझे पहुंच जाता है। (1) ............................... (1) अबू दाऊदः2/218, ह़दीस संख्याः2044, अह़मदः2/367, ह़दीस संख्याः8804, और शैख़ अल्बानी ने इसे सह़ीह़ अबू दाऊदः2/383 में सह़ीह़ कहा है।

221. रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः (बख़ील (कन्जूस) वह है जिसके पास मेरा ज़िक्र हो और वह मुझ पर दरूद न भेजे।) (1) ........................... (1) तिर्मिज़ीः5/551, ह़दीस संख़्याः3546, आदि, सह़ीह़ुल-जामेः3/25 और सह़ीह़ तिर्मिज़ीः3/177

222. रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः (अल्लाह तआला के कुछ ऐसे फ़रिश्ते हैं जो ज़मीन में घूमते फिरते हैं, वह मेरी उम्मत के लोगों का सलाम मुझे पहुंचाते हैं।) (1) ......................... (1) नसाईः3/43, ह़दीस संख्याः1282, ह़ाकिमः2/421, और शैख़ अल्बानी ने इसे सह़ीह़ नसाईः1/274 में सह़ीह़ कहा है।

223. रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम ने फरमायाः (कोई आदमी जब भी मुझ पर सलाम पढ़ता है तो अल्लाह तआला मेरी रूह़ (प्राण) को मेरे बदन में वापस लौटा देता है, ताकि मैं उसे सलाम का जवाब दे सकूं।) (1) ................................ (1) अबू दाऊद ह़दीस संख्याः2041, और शैख़ अल्बानी ने इसे सह़ीह़ अबूदाऊदः1/383 में ह़सन कहा है।

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