रोजा खोलते समय की दुआ
176. (प्यास चली गई, रगें तर हो गईं और अगर अल्लाह ने चाहा तो अज्र (सवाब) साबित हो गया।) (1)
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(1) अबू दाऊदः2/306, ह़दीस संख्याः2369 आदि, देखिएः सह़ीहुल-जामेः4/209
177. (ऐ अल्लाह! मैं तुझसे तेरी उस रह़मत के द्वारा जिसने हर चीज़ को घेर रखा है ये सवाल करता हूं कि तू मुझे बख़्श दे।) (1)
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(1) इब्ने माजाः1/557, ये दुआ अब्दुल्लाह बिन अम्र बिन आस रज़ियल्लाहु अन्हुमा रोज़़ा खोलते समय पढ़ा करते थे। ह़ाफ़िज़ ने अल-अज़्कार की तख़रीज में इसे हसन कहा है। देखिए अल-अज़्कार की शरह़ः4/342