शिर्क से डरने की दुआ ।

203. (ऐ अल्लाह! मैं पनाह मांगता हूं इस बात से कि मैं जानते हुए तेरे साथ किसी को शरीक बनाऊं और मैं तुझसे बख़्शिश मांगता हूं उन गुनाहों से जो मैं नहीं जानता।) (1) ............................... (1) अह़मदः4/403, ह़दीस संख्याः19606, बुख़ारी की अल-अदबुल-मुफ़रद ह़दीस संख्याः716, देखिए सह़ीह़ुल जामेः3/233 और अल्बानी की सह़ीह़ुत-तरग़ीब वत-तरहीबः1/19

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