शासक के अत्याचार से डरने वाले की दुआ
129. (ऐ अल्लाह! सातों आस्मानों के रब और बड़े अर्श के रब! मेरे लिए अमुक के पुत्र अमुक से और तेरी मख़्लूक़ में से उसके जत्थों से इस बात की पनाह देने वाला बन जा कि उनमें से कोई मेरे ऊपर ज़्यादती या सरकशी करे। तेरी पनाह बहुत मज़बूत है, तेरी तारीफ बहुत बड़ी है औऱ तेरे सिवा कोई भी इबादत के लायक़ नहीं।) (1)
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(1) बुखारी की अल-अदबुल- मुफरद हदीस संख्याः707 और शैख़ अल्बानी ने इसे सह़ीह़ कहा है। सह़ीह़ अदबुल- मुफरद हदीस संख्याः545
130. (अल्लाह सबसे बड़ा है। अल्लाह अपनी मख़्लूक़ात से सबसे ज़्यादा ताक़त और ग़ल्बे वाला है। मैं जिस चीज़ से डरता और ख़ौफ़ खाता हूं अल्लाह उससे कहीं ज़्यादा ताक़तवर है। मैं उस अल्लाह की पनाह में आता हूं जिसके सिवा कोई भी इबादत के लायक़ नहीं, जो सातों आस्मानों को ज़मीन पर गिरने से थामे हुए है, लेकिन उसकी इजाज़त से (गिर सकते हैं), तेरे अमुक बन्दे के शर से और उसके लशकरों, चेलों, जिन्नातों और इन्सानों में से उसके जत्थों की बुराई से (तेरी पनाह में आता हूं।) ऐ अल्लाह, तू उनके शर से मेरे लिए मददगार बन जा। तेरी तारीफ़ बहुत बड़ी है, तेरी पनाह बहुत मज़बूत है औऱ तेरा नाम बहुत बरकत वाला है और तेरे सिवा कोई भी इबादत के लायक़ नहीं।) (तीन बार) (1)
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(1) बुखारी की अल-अदबुल- मुफ्रद हदीस संख्याः708 और शैख़ अल्बानी ने इसे सह़ीह़ कहा है। सह़ीह़ अदबुल- मुफ्रद हदीस संख्याः546