अजान की दुआएँ ।
22. मोअज़्ज़िन के जवाब में वही कलिमा कहे जो मोअज़्ज़िन कह रहा हो, लेकिन (ह़य्-य अलस्-सलाह और ह़य्-य अलल्-फ़लाह़ के जवाब में (ला ह़ौ-ल वला क़ुव्व-त इल्ला बिल्लाह) कहे। (1)
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(1) बुखारीः1/152, हदीस संख्याः611, मुस्लिमः1/288, हदीस संख्याः383
23. (और मैं गवाही देता हूं कि अल्लाह के सिवा कोई सच्चा माबूद नहीं। वह अकेला है। उसका कोई शरीक नहीं और मुह़म्मद उसके बन्दे और उसके रसूल हैं। मैं अल्लाह को अपना रब मानकर, मुह़म्मद को अपना रसूल मानकर और इस्लाम को अपना दीन मानकर राज़ी हूं।) (1) (मुअज़्ज़िन के अश्हदु अल्ला इला-ह इल्लल्लाह और अश्हदु अन्-न मुह़म्मदर्-रसूलुल्लाह कहने के बाद ये दुआ पढ़े) (2)
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(1) मुस्लिमः1/290, हदीस संख्याः386,
(2) इब्ने ख़ुज़ैमाः1/220
24. (मुअज़्ज़िन के जवाब से फ़ारिग़ होकर रसूलुल्लाह पर सलात (दरूदे मस्नून) पढ़े) (1)
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(1) मुस्लिमः1/288, हदीस संख्याः384,
25. (ऐ अल्लाह! इस पूर्ण दावत और खड़ी होने वाली नमाज़ के रब! मुह़म्मद सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम को वसीला और फ़ज़ीलत प्रदान कर और उन्हें उस मक़ामे मह़मूद पर पहुंचा दे, जिसका तूने उनसे वादा किया है। [बेशक तू वादा खिलाफ़ी नहीं करता।]) (1)
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(1) बुखारीः1/152, हदीस संख्याः614, दोनों कोष्ठों के बीच के शब्द बैहक़ी के हैं औऱ इसकी सनद को अल्लामा अब्दुल्-अज़ीज़ बिन बाज़ ने तोह़फ़तुल अख़्यार पृष्ठः38 में ह़सन कहा है।
26. (अज़ान और इक़ामत (तकबीर) के बीच अपने लिए दुआ करे, क्योंकि उस समय दुआ रद नहीं की जाती।) (1)
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(1) तिर्मिज़ी हदीस संख्याः3594,3595, अबू-दाऊद हदीस संख्याः525, अह़मद, हदीस संख्याः12200, देखिएः इर्वाउल्-ग़लीलः1/262