किसी गावँ या शहर में दाखिल होने की दुआ

108. (ऐ अल्लाह! ऐ सातों आस्मानों के रब और उन चीज़ों के रब जिन पर ये साया किए हुए हैं! सातों ज़मीनों और उन चीज़ों के रब जिन्हें ये उठाए हुए हैं! शैतानों और उन चीज़ों के रब जिन्हें इन्होंने गुमराह किया है! हवाओं और उन चीजों के रब जिन्हें इन्होंने उड़ाया है! मैं तुझसे इस गांव की भलाई, इस गांव में रहने वालों की भलाई और इसमें मौजूद चीज़ों की भलाई का सवाल करता हूं तथा इस गांव की बुराई, इसके वासियों की बुराई और उन चीज़ों की बुराई से पनाह मांगता हूं जो इसमें हैं।) (1) ............................ (1) ह़ाकिम ने इसे रिवायत करने के बाद सह़ीह़ कहा है और ज़ह्बी ने इसकी पुष्टि की है, 2/100, इब्नुस-सुन्नी ह़दीस संख्याः524, ह़ाफ़िज़ ने अज़्कार की तख़रीज में इसे ह़सन कहा है, 5/154, अल्लामा इब्ने बाज़ (रहि) ने फरमायाः(नसाई ने इसे ह़सन सनद से रिवायत किया है।) देखिएः तोह़फ़तुल-अख़्यार पृष्ठः37

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